जाने वाले चले जाते हैं कहां ?

पत्रकार संजय शुक्ला जी के निधन की खबर सुनकर गहरा दुःख हुआ।उनका इस तरह से हम सभी को छोड़ के जाना यह हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति हैं।ईश्वर दिवगंत आत्मा को शक्ति,शांति और उन्हें अपने चरणों में स्थान दे।

जाने वाले चले जाते हैं कहां ?

पत्रकार संजय शुक्ला जी के निधन की खबर सुनकर गहरा दुःख हुआ।उनका इस तरह से हम सभी को छोड़ के जाना यह हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति हैं।ईश्वर दिवगंत आत्मा को शक्ति,शांति और उन्हें अपने चरणों में स्थान दे। बिछड़े सफर जिन्दगी में कभी लौटकर नहीं आएंगे।पत्रकारिता जगत के हार्ड लाइन के रूपमें माने जाने वाले लोकप्रिय समाजसेवी,विख्यात पंडित व चर्चित पत्रकार के रूप में संजय शुक्ला जी का आकस्मिक निधन से पत्रकारिता जगत मर्माहित हैं। 2008 से ही समस्तीपुर(बिहार) से निरंतर प्रकाशित चन्द्रकान्ता( समाचार पत्र)में संजय जी निरंतर अपनी लेख एवं रचना लिखते रहे।उनकी निर्भिक पत्रकारिता एवं लेखनी जो सदैव याद आते रहेंगे। संजय जी मे रैखिक विकास के साथ ही तत्कालीन समय,समाज और पत्रकारिता जगत में कई गई इनकी प्रवृत्तियां उसकी आंतरिक और बाहरी गुत्थियां आकर उपस्थित होती हैं।
    "एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल,
      जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल"
को स्मरण करते हुए इतना निश्चित ही कहाँ जा सकता हैं कि पत्रकार स्व.संजय शुक्ला जी के बोल बचन,लेखन विधा,समाज सेवा,पत्रकारिता, सकारात्मक सियासत के मायने जब जब पत्रकारिता व चन्द्रकान्ता परिवार को याद आते रहेंगे तब तब उन्हें मर्माहित करता रहेगा और अंत में -- " वो जाने वाले हो सके तो लौट के आना" । वक़्त के साथ जख्म तो भर जाएंगे,मगर जो बिछड़े सफर जिन्दगी में फिर ना कभी लौटकर आएंगे। दिवगंत आत्मा को सत-सत प्रणाम और भावभीनी श्रद्धांजलि.....।