विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, संकटों से छुटकारा पाने के लिए ऐसे करें पूजा

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस व्रत को करने के पीछे मान्यता ये है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना करने से संकट आने से पहले टल जाते हैं और परिवार खुशहाल रहता है।

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, संकटों से छुटकारा पाने के लिए ऐसे करें पूजा

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस व्रत को करने के पीछे मान्यता ये है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना करने से संकट आने से पहले टल जाते हैं और परिवार खुशहाल रहता है।

हिन्दू पंचांग के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक महीने में 2 बार है। पहला शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को और दूसरी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 अप्रैल को आज है। 

विकट संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें पूजा

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस व्रत को करने के पीछे मान्यता ये है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना करने से संकट आने से पहले टल जाते हैं और परिवार खुशहाल रहता है।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक महीने में 2 बार है। पहला शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को और दूसरी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 अप्रैल को आज है। 

विकट संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें पूजा

सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत हो लें।

इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने साफ सुथरे आसान पर बैठ जाएं।

इसके बाद भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, बेसन के लड्डू, दूर्वा और चंदन आदि चढ़ाकर करें।


गणेश जी विधिवत पूजन के पश्चात गणेश जी की कथा का पाठ करें। 

पश्चात भगवान गणेश की वंदना और इनके मंत्रो का जाप करें।

इसके बाद शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और गणेश जी से प्रार्थना करें कि संकट की इस घड़ी में आपका, आपके परिवार को संकटो से रक्षा करें।

व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें

पंडित जी कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन जो कठोरता से करता है उसे भगवान सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं। ऐसे में व्रत की अवधि में किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन न करें।हालांकि फलाहार किया जा सकता है। व्रत का पारण शाम को चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही करें।

किन मंत्रों का जाप है लाभकारी 

ॐ गं गणपतये नम:

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत हो लें।

इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने साफ सुथरे आसान पर बैठ जाएं।

इसके बाद भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, बेसन के लड्डू, दूर्वा और चंदन आदि चढ़ाकर करें।


गणेश जी विधिवत पूजन के पश्चात गणेश जी की कथा का पाठ करें। 

पश्चात भगवान गणेश की वंदना और इनके मंत्रो का जाप करें।

इसके बाद शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और गणेश जी से प्रार्थना करें कि संकट की इस घड़ी में आपका, आपके परिवार को संकटो से रक्षा करें।

व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें

पंडित जी कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन जो कठोरता से करता है उसे भगवान सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं। ऐसे में व्रत की अवधि में किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन न करें।हालांकि फलाहार किया जा सकता है। व्रत का पारण शाम को चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही करें।

किन मंत्रों का जाप है लाभकारी 

ॐ गं गणपतये नम:

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस व्रत को करने के पीछे मान्यता ये है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना करने से संकट आने से पहले टल जाते हैं और परिवार खुशहाल रहता है।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक महीने में 2 बार है। पहला शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को और दूसरी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 अप्रैल को आज है। 

विकट संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें पूजा

सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत हो लें।

इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने साफ सुथरे आसान पर बैठ जाएं।

इसके बाद भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, बेसन के लड्डू, दूर्वा और चंदन आदि चढ़ाकर करें।


गणेश जी विधिवत पूजन के पश्चात गणेश जी की कथा का पाठ करें। 

पश्चात भगवान गणेश की वंदना और इनके मंत्रो का जाप करें।

इसके बाद शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और गणेश जी से प्रार्थना करें कि संकट की इस घड़ी में आपका, आपके परिवार को संकटो से रक्षा करें।

व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें

पंडित जी कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन जो कठोरता से करता है उसे भगवान सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं। ऐसे में व्रत की अवधि में किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन न करें।हालांकि फलाहार किया जा सकता है। व्रत का पारण शाम को चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही करें।

किन मंत्रों का जाप है लाभकारी 

ॐ गं गणपतये नम:

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥